Saturday 10 November 2012

खापों पे राजनितिक होने का रंग चढाने वाले या इनको अपनी जूतियाँ चमकाने वाला कहने वाले, मेरे इन सवालों का जवाब दें:

1.क्या किसी खाप को देखा है कि इन्होनें सामाजिक सभा करके कभी अपने अनुयायिओं को ये कहा हो कि आप इस या उस पार्टी को वोट दीजिये?
2.क्या कभी किसी खाप को देखा है किसी राजनेता की चुनावी सभा में मंच साझा करते
हुए या उनके मंच से राजनीति पे बोलते हुए?
3.खापों के कितने सामाजिक नेता MLA या MP हैं? आज तक मैंने तो एक भी नहीं सुना और वो भी बावजूद इसके कि इनको हर चुनाव के वक्त लगभग हर राजनीतिक पार्टी टिकट देने की पेशकस करती है| जिसमें सबसे बड़ा उदाहरण भारत की सबसे बड़ी गठ्वाला खाप के प्रधान दादा बलजीत सिंह मलिक हैं, जिनको कि हर चुनाव में इस या उस पार्टी से ऐसी पेशकस आती रहती हैं| लेकिन उन्होंने हर बार यह कहते हुए इन प्रस्तावों को नाकारा है कि मैं सामाजिक नुमाईन्दा हूँ सो मुझे समाज पे काम करना है| वर्ना इनपे ये तोहमतें लगाने वाले ये भी जानते होंगे कि सोनीपत में अकेली गठ्वाला खाप की इतनी वोट हैं कि इनको घर बैठे-बिठाए MP बना दें और ऐसे ही मेरठ और सहारनपुर में हैं|
4.अपनी इतनी बड़ी उपस्थिति होने पर भी खापों ने कभी इस ताकत का गलत प्रयोग नहीं किया, वरना जैसी MNS या Shiv Sena मुंबई में खड़ी हैं, ऐसी तो एक-एक खाप खड़ी कर सकती है| इन्होने तो कभी नहीं किसी दुसरे राज्य के भाई को क्षेत्रवाद पे बांटा या बाँट के राजनीति की? फिर इनपे कोई कैसे राजनितिक होने का इल्जाम लगा सकता है?

बजाय सामाजिक मुद्दों को सार्वजनिक देखने के, सिर्फ एक व्यक्ति के बयान को ले के पूरी सामाजिक संस्था और विचारधारा विशेष को कटघरे में खींचनें वाले, जवाब देना चाहेंगे इसपे?

No comments:

Post a Comment