Saturday 10 November 2012

पहलवान अभिनेता दारा सिंह

पहलवान अभिनेता दारा सिंह
व्यवसाय पहलवान, अभिनेता, सांसद, लेखक, निर्देशक

दारा सिंह (पूरा नाम: दारा सिंह रन्धावा, जन्म: 19 नवम्बर, 1928 पंजाब, मृत्यु: 12 जुलाई 2012 मुम्बई) अपने जमाने के विश्व प्रसिद्ध फ्रीस्टाइल पहलवान रहे हैं। उन्होंने 1959 में पूर्व विश्व चैम्पियन जार्ज गारडियान्को को पराजित करके कामनवेल्थ की विश्व चैम्पियनशिप जीती थी। बाद में वे अमरीका के विश्व चैम्पियन लाऊ थेज को पराजित कर फ्रीस्टाइल कुश्ती के विश्व चैम्पियन बन गये। 1983 में उन्होंने अपराजेय पहलवान के रूप में कुश्ती से सन्यास लिया।

उन्नीस सौ साठ के दशक में पूरे भारत में उनकी फ्री स्टाइल कुश्तियों का बोलबाला रहा। बाद में उन्होंने अपने समय की मशहूर अदाकारा मुमताज के साथ हिन्दी की स्टंट फ़िल्मों में प्रवेश किया और कई फिल्मों के अभिनेता निर्देशक एवं निर्माता भी रहे। उन्हें टी० वी० धारावाहिक रामायण में हनुमानजी के अभिनय से अपार लोकप्रियता मिली। वे भारतीय जनता पार्टी से राज्य सभा के सांसद भी रहे।

7 जुलाई 2012 को दिल का दौरा पडने के बाद उन्हें कोकिलाबेन धीरूभाई अम्बानी अस्पताल मुम्बई में भर्ती कराया गया किन्तु सघन चिकित्सा के बावजूद कोई लाभ न होता देख उन्हें उनके मुम्बई स्थित निवास पर लाया गया जहाँ उन्होंने 12 जुलाई 2012 को सुबह साढे सात बजे दम तोड दिया।

व्यक्तिगत जीवन

दारा सिंह रन्धावा का जन्म 19 नवम्बर 1928 को अमृतसर (पंजाब) के गाँव धरमूचक में श्रीमती बलवन्त कौर और श्री सूरत सिंह रन्धावा के यहाँ हुआ था। कम आयु में ही घर वालों ने उनकी मर्जी के बिना उनसे आयु में बहुत बड़ी लड़की से शादी कर दी। माँ ने इस उद्देश्य से कि पट्ठा जल्दी जवान हो जाये उसे सौ बादाम की गिरियों को खाँड और मक्खन में कूटकर खिलाना व ऊपर से भैंस का दूध पिलाना शुरू कर दिया। नतीजा यह हुआ कि सत्रह साल की नाबालिग उम्र में ही दारा सिंह प्रद्युम्न नामक बेटे के बाप बन गये। दारा सिंह का एक छोटा भाई सरदारा सिंह भी था जिसे लोग रन्धावा के नाम से ही जानते थे। दारा सिंह और रन्धावा - दोनों ने मिलकर पहलवानी करनी शुरू कर दी और धीरे-धीरे गाँव के दंगलों से लेकर शहरों तक में ताबड़तोड़ कुश्तियाँ जीतकर अपने गाँव का नाम रोशन किया।
अखाड़े का विजय रथ

1947 में दारा सिंह सिंगापुर आ गये। वहाँ रहते हुए उन्होंने भारतीय स्टाइल की कुश्ती में मलेशियाई चैम्पियन तरलोक सिंह को पराजित कर कुआला लंपुर में मलेशियाई कुश्ती चैम्पियनशिप जीती। उसके बाद उनका विजय रथ अन्य देशों की चल पड़ा और एक पेशेवर पहलवान के रूप में सभी देशों में अपनी धाक जमाकर वे 1952 में भारत लौट आये। भारत आकर सन 1954 में वे भारतीय कुश्ती चैम्पियन बने।

उसके बाद उन्होंने कामनवेल्थ देशों का दौरा किया और विश्व चैम्पियन किंगकांग को परास्त कर दिया। बाद में उन्हें कनाडा और न्यूजीलैण्ड के पहलवानों से खुली चुनौती मिली। अन्ततः उन्होंने.कलकत्ता में हुई कामनवेल्थ कुश्ती चैम्पियनशिप में कनाडा के चैम्पियन जार्ज गार्डियान्को एवं न्यूजीलैण्ड के जान डिसिल्वा को धूल चटाकर यह चैम्पियनशिप भी अपने नाम कर ली। यह 1959.की घटना है।

दारा सिंह ने उन सभी देशों का एक-एक करके दौरा किया जहाँ फ्रीस्टाइल कुश्तियाँ लड़ी जाती थीं। आखिरकार अमरीका के विश्व चैम्पियन लाऊ थेज को 29 मई 1968 को पराजित कर फ्रीस्टाइल कुश्ती के विश्व चैम्पियन बन गये। 1983 में उन्होंने अपराजेय पहलवान के रूप में कुश्ती से सन्यास ले लिया।

जिन दिनों दारा सिंह पहलवानी के क्षेत्र में अपार लोकप्रियता प्राप्त कर चुके थे उन्हीं दिनों उन्होंने अपनी पसन्द से दूसरा और असली विवाह सुरजीत कौर नाम की एक एम०ए० पास लड़की से किया। आज दारा सिंह के भरे-पूरे परिवार में तीन बेटियाँ और दो बेटे हैं।

2012 में पहली व अन्तिम बीमारी के बाद निधन

7 जुलाई 2012 को दिल का दौरा पडने के बाद उन्हें कोकिलाबेन धीरूभाई अम्बानी अस्पताल मुम्बई में भर्ती कराया गया किन्तु सघन चिकित्सा के बावजूद कोई लाभ न होता देख चिकित्सकों ने जब हाथ खडे कर दिये[6] तब उन्हें उनके परिवार जनों के आग्रह पर 11 जुलाई 2012 को देर रात गये अस्पताल से छुट्टी दे दी गयी और उनके मुम्बई स्थित निवास पर लाया गया जहाँ उन्होंने 12 जुलाई 2012 को सुबह साढे सात बजे दम तोड दिया। जैसे ही यह समाचार प्रसारित हुआ कि "पूर्व कुश्ती चैम्पियन पहलवान अभिनेता दारा सिंह नहीं रहे" और "कभी किसी से हार न मानने वाला अपने समय का विश्वविजेता पहलवान आखिरकार चौरासी वर्ष की आयु में अपने जीवन की जंग हार गया। तो उनके प्रशंसकों व शुभचिन्तकों की अपार भीड उनके बँगले पर जमा हो गयी। उनका अन्तिम संस्कार जुहू स्थित श्मशान घर में गुरुवार की शाम को कर दिया गया।
प्रमुख फिल्में
वर्ष फ़िल्म
2007 जब वी मैट
2002 शरारत
2001 फ़र्ज़
2000 दुल्हन हम ले जायेंगे
1999 ज़ुल्मी
1999 दिल्लगी
1997 लव कुश
1995 राम शस्त्र
1994 करन
1992 प्रेम दीवाने
1991 धर्म संकट
1991 अज़ूबा
1989 घराना
1988 पाँच फौलादी
1988 महावीरा
1986 कृष्णा-कृष्णा
1986 कर्मा
1985 मर्द
1981 खेल मुकद्दर का
1978 भक्ति में शक्ति
1978 नालायक
1976 जय बजरंग बली
1975 वारण्ट
1975 धरम करम
1974 दुख भंजन तेरा नाम
1974 कुँवारा बाप
1973 मेरा दोस्त मेरा धर्म
1970 मेरा नाम जोकर
1970 आनन्द
1965 सिकन्दर-ए-आज़म
1965 लुटेरा
1962 किंग कौंग
1955 पहली झलक
1952 संगदिल
बतौर लेखक
वर्ष फ़िल्म
1978 भक्ति में शक्ति
बतौर निर्देशक
वर्ष फ़िल्म
1978 भक्ति में शक्ति
1973 मेरा दोस्त मेरा धर्म

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